CURRENT CAMP निरोग जीवन संस्थान की ओर से संत जगदीशमुनि जी द्वारा 496 वां (प्रत्येक रोग का बिना दवाई इलाज) न्यूरो108 हीलिंग सिस्टम शिविर 26फरवरी से 10 मार्च 2023 तक HP गुप्ता गैस गोदाम के सामने फाजिल्का पंजाब में लगेगा।। NEXT CAMP संत जगदीश मुनि जी द्वारा 497 वां कैंप 13 मार्च से 27 मार्च 2023 संतजगदीशमुनि आश्रम टूंडला रोड, गली नंबर 12, डिफेंस कॉलोनी, डी ब्लॉक, नजदीक आत्मा अकैडमी, अंबाला कैंट, हरियाणा में है।। CONTACT:- 7589337000,8146019137

About Saint Shri Jagdish Munni Ji (Reiki Acharya)

Saint Shri Jagdish Munni Ji (Reiki Acharya) founder of “Nirog Jeevan Sansthan (Regd.) Registration No. : CH/32/420/2010-11” india has been organised 545 (15 days) camp all over india ( Punjab, Rajasthan, Maharashtra, Delhi, Karnataka, Haryana, Bangalore etc. )

Spreading awareness and healing patients surffring from all kind of disease like ( Headache, Migraine, Eye Sight Weak, Cervical, Back Pain, Thyroid, Sugar, Stomach, Knee Pain, Asthma, B.P., Joint Pain, Skin Problems, Cancer, Paralysis etc.) through natural therapies.

Saint Shri Jagdish Munni Ji gives treatment to the patients daily by natural therapies & has selflessly offerd.
सादे कपड़ों में ‘मानवता के सच्चे संत’: जगदीश मुनि जी महाराज
न्यूरो 108 हीलिंग सिस्टम, प्राकृतिक चिकित्सा में अद्भुत और शक्तिशाली खोज

शिक्षा : फिजिक्स, केमिस्ट्री व गणित (NON MEDICAL MATH) बैचलर
आचार्य रजनीश ओशो जैसे महापुरुषों का मिला सान्निध्य
संत जगदीश मुनि जी महाराज को अपने जीवनकाल में विश्व के उच्चकोटि महापुरुषों व संतजनों का सान्निध्य मिला। यहीं कारण है कि उनके जीवन में इन महान संतों की शिक्षाओं व सद्गुणों की झलक देखने को मिलती है। संत जगदीश मुनि जी को दिल्ली में महर्षि भारद्वाज, ऋषिकेश में स्वामी रामसुखदास, हरिद्वार में स्वामी शरणानंद व पुणे में आचार्य रजनीश ओशो का सान्निध्य मिला। संत जगदीश मुनि जी कहते हैं कि इन महान पुरुषों के संपर्क में आने से उनका जीवन ही बदल गया।

वर्षों का कठोर तप, तभी ऐसा तेज और प्रताप
संत जगदीश मुनि जी महाराज ने महापुरुषों की सानिध्य में रहते हुए ऐसी कठिन तपस्या की जो सामान्यत: किसी के वश की बात नहीं। उन्होंने लगातार 5 वर्षों तक कठोर तप किया जिसमें लगातार 24 घंटे में सिर्फ 2 घंटे विश्राम करना शामिल रहा। आज उसी कठोर तपोबल का परिणाम है कि महाराज के तेज और प्रताप से कोई भी बिना प्रभावित हुए नहीं रह सकता।

नई खोज, नया अविष्कार
संत जगदीश मुनि जी महाराज ने सनातन से चली आ रही योग एवं नेचुरलपैथी में न्यूरो 108 हीलिंग सिस्टम की नई खोज की है जिससे सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी व लकवा का सफल इलाज संभव हो पाया है। उनके द्वारा की गई खोज आज पूरी मानवता के लिये वरदान साबित हो रही है।
मानवता की निष्काम सेवा मेें 30 वर्षों से दिन-रात जुटे परम श्रद्धेय संत जगदीश मुनि, देश विदेशों में 15 दिवसीय 477 कैंप लगाकर कर चुके 23 लाख रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज

वर्षों के अनुभव, अभ्यास और अनुभूति से किया न्यूरो हीलिंग पद्धति का अविष्कार, प्रापर्टी के नाम पर एक गाड़ी वो भी लोन पर, बस एक ही धुन हिन्दुस्तान बने रोग मुक्त

दुनिया में मानवता के मसीहा व सादे कपड़ों में सच्चे संत परमश्रद्धेय बाबा जगदीश मुनि जी ने भारत के कोने कोने में मानवता की सेवा में 15 दिवसीय 477 (पंद्रह दिवसीय ) कैंप लगाकर 23 लाख रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज कर चुके हैं जिसमें 25 हजार गेंहू से एलर्जी रोगी व 2 हजार नामुराद बीमारी cerebral palsy (सी.पी.) रोगी शामिल हैं। संत जी द्वारा इन सभी का इलाज बिना किसी सरकारी सहायता के साथ संगतों के सहयोग से अलग अलग जगहों पर कैंप लगाकर किया गया है।

पिछले 30 सालों से अब तक घर-बार, परिवार छोड़ कर, जीवन की सुख-सुविधाएं, लालच, मोह त्याग कर अपना पूरा जीवन रोगियों के कुदरती इलाज को समॢपत कर दिया। इन निष्काम सेवा के बीच न तो अपने परिवार के लिये कुछ बनाया और न ही अपने लिये और बनाया तो सिर्फ सेवा भावना से लाखों करोड़ों लोगों के दिलों में अपना नाम। सिर्फ इनके पास एक गाड़ी और वो भी बैंक से कर्ज लेकर लोगों की सेवा में लगाई हुई है जोकि कैंपों में टीम के साथ आने जाने के लिये इस्तेमाल में लाई जाती है। धन दौलत के नाम पर कुछ भी नहीं है। बल्कि उनके द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में जाकर मेधावी जरूरतमंद 3000 विद्याॢथयों में पाठय सामग्री वितरित कर सहायता की जाती है।

अगर हम इनके द्वारा दिए जा रहे इलाज के बारे मेें बात करें तो रोजाना सुबह 7 बजे से सायं 7 बजे तक लगभग 10-12 घंटे अपने हाथों से इलाज करते हैं। सबसे पहले रेकी द्वारा लगातार 10 सालों तक दिन में 10 से 12 घंटे खड़े होकर इलाज करते रहे हैं। पूरे देश में 477 (पंद्रह दिवसीय) कैंप व करीब 5 लाख किलोमीटर का सफर तय करके बिना अक्के व थके लगाते आ रहे हैं। लगभग 23 कैंपों में कुछ लोगों में सूझ की कमी होने के कारण भूखे प्यासे रहकर लोगों की सेवा में मग्न रहे हैं लेकिन किसी से कभी भी कोई गिला नहीं किया बल्कि सबर संतोष व मीठे स्वभाव से सभी दुखों को झेल लिया।

परम श्रद्धेय संत जगदीश मुनि जी का लक्ष्य दुखी पुरुषों, महिलाओं व बच्चों अर्थात हर उम्र के रोगियों की सेवा करना व उनका इलाज करके उनकी जीवन शैली, सिद्धांत, उत्तम विचार व दीर्घायु के योग्य बनाना है। लंबे समय से लोगों के किए जा रहे प्राकृतिक इलाज के अनुभव से पहले रेकी द्वारा, एक्यूप्रैशर, सुजोक, चुंबकीय चिकित्सा, रंग चिकित्सा, मुद्रा चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा, योग निद्रा, योग अभ्यास, साधना, समाधि, चक्कर ज्ञान व सेवन बाडी ज्ञान की निपुणता के बाद से तीस सालों के अभ्यास और अनुभूति तथा 23 लाख रोगियों के इलाज के अभ्यास व अनुभव के बाद पुलाड़ में फैली कुदरती किरणों के अनुभव के आधार पर संत जगदीश मुनि जी द्वारा एक नई खोज की गई है जिसका नाम न्यूरो हीलिंग पद्धति रखा गया है। यह खोज मनुष्य शरीर से लेकर पैर के अंगूठे तक किसी भी स्थान पर नाड़ी संचार की खराबी को दूर करके मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ कर देती है। एलोपैथी, आयुर्वेद व होम्योपैथी इलाज से निराश हुए मरीज न्यूरो हीलिंग पद्धति के जरिये ठीक व स्वस्थ हो जाते हैं।

इन के कैंपों में भारत के राज्य पंजाब से ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के कोने कोने से रोगी पहुंच कर अपना इलाज करवा कर पूरी तरह से स्वस्थ हो रहे हंै। अभी तो संत जगदीश मुनि की न्यूरो हीलिंग पद्धति की धूम विदेशों में भी मचनी शुरू हो गई हैं और अलग अलग देशों के लोगों ने भी अपने इलाज के लिये उन तक पहुंच करनी शुरू कर दी है। संत जगदीश मुनि जी की न्यूरो हीलिंग पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें रोगी के इलाज के समय किसी भी प्रकार की कोई दवाई का इस्तेमाल नहीं होता और न ही यह शरीर पर किसी प्रकार का कोई साइड इफ्ैक्ट करती है।

संत जगदीश मुनि जी के बिना दवाई के कुदरती इलाज के लिये पंजाब सरकार को चाहिए कि इस पद्धति को मान्यता दी जाए और इस पद्धति के स्कूल व कालेज बनाकर नए विद्यार्थी पैदा करके रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं। यह कुदरती व प्रैक्टीकल इलाज आज की भागदौड़ की दुनिया, जहरीले पदार्थों के सेवन के बीच बेहद महत्वपूर्ण व लाभकारी है। इसलिये हमारी सरकारों को इस इलाज की पुस्तकों को स्कूलों, कालेजों व यूनिवॢसटयों में लगाकर रोग मुक्त भारत की तरफ बढऩा चाहिए।